अमेरिकी जनता पर कोरोना और बेरोज़गारी की दोहरी मार

सोमवार जून 8:

लगभग बीस लाख अमेरिका वासियों के कोरोना संक्रमित होने और पुलिस बर्बरता के खिलाफ दो हफ्ते से चल रहे प्रदर्शनों का सिलसिला जोरों पर है। बेरोजगारी की मार सामान्य नौकरीपेशा लोगों को गरीबी के दलदल में धकेलती जा रही है। बेरोज़गारी से प्रभावित लोगों में सबसे ज़्यादा 'ब्लैक' समुदाय है, जिनमें बेरोज़गारी की दर 16 प्रतिशत से ऊपर है, जब कि ‘श्वेत’ बेरोज़गारों का प्रतिशत 12 से कुछ अधिक है । ये दिन बहुत तकलीफ भरे हैं, खास तौर पर 'अश्वेत' समुदाय के लिए, उनमें भी 'ब्लैक' कहे जाने वाली जनता के लिए। 

अमेरिका में 'अश्वेतों' के कई नाम हैं: 'ब्लैक', 'एशियाई', 'लातिनी' आदि… माना जाता है कि एशियाई मूल के लोग, यानी चीनी, कोरियाई, भारतीय आदि अपेक्षाकृत बेहतर आर्थिक स्थिति में हैं, जब कि ‘ब्लैक', जिनका तात्पर्य अफ्रीकी मूल के लोगों से है, और 'लातिनी', जिन्हें दक्षिणी अमेरिका से आये विस्थापित कह सकते हैं, आर्थिक सीढ़ी के निचले पायदान पर, यानी सर्वाधिक बदतर आर्थिक हालत में हैं। 'श्वेत' लोग, अमेरिका के विशेषाधिकार प्राप्त या ऐसे लोग हैं जिनके लिए अमीरी की सीढ़ियाँ चढ़ना आसान है।     

महामारी से संक्रमित लोगों  में से एक लाख दस हज़ार मौत के मुँह में जा चुके हैं ।इस महीने यानी जून में इस महामारी से कुल पाँच हज़ार अमेरिका वासियों के जान गँवाने की आशंका है । रोज़ाना बीस हज़ार नए मामले सामने आ रहे हैं, जब कि लगभग एक हज़ार संक्रमित लोग मौत के आग़ोश में चले जा रहे है ।देश के सर्वाधिक प्रभावित प्रदेश न्यू यॉर्क में संक्रमित लोगों की संख्या दो लाख 11 हज़ार से ऊपर पहुँच चुकी है, जब कि संक्रमण से 21 हज़ार जानें जा चुकी हैं ।

 संक्रमण के तीन महीने बाद संक्रमण की रफ़्तार काम होने की आशा थी । कुछ स्थानों पर तो संक्रमण कम हुए भी, लेकिन अनेक स्थानों पर यह रफ़्तार बढ़ी है, जैसे कि फिनिक्स( एरिज़ोना), डलास (टेक्सास), ओमाहा (नेब्रास्का) में। 

इस चैनल के दर्शकों को अमेरिका के उन इलाकों में ले जाना चाहता हूँ, जहाँ भारतीय मूल के लिए लोग बसे हैं, बेहतर जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन कोरोना महाप्रकोप ने सबकी जीवन शैली बदल कर रख दी है । 

आज हम एटलांटा निवासी हिंदी नाट्यकर्मी और शिक्षिका संध्या भगत से आपकी मुलाकात कराएँगे, जिनकी सक्रियता पर कोरोना का असर तो पड़ा लेकिन उनकी गतिविधियों को रोक नहीं सका।  

लेकिन पहले अमेरिका के दक्षिणी हिस्से में स्थित इस प्रदेश, जॉर्जिया से आपको परिचित कराते चलें, जिसकी राजधानी है एटलांटा। न्यू यॉर्क टाइम्स के आंकड़े बताते हैं कि जॉर्जिया प्रदेश में लगभग पचास हज़ार लोग संक्रमित हैं, जब कि दो  हज़ार से अधिक संक्रमित लोगों की जानें जा चुकी हैं। जॉर्जिया प्रदेश के रिपब्लिकन गवर्नर  ब्रायन केम्प ने मई के प्रारंभिक हप्ते में ही व्यापार जगत को धीरे धीरे खोलने का निर्णय किया था, जैसा कि राष्ट्रपति ट्रम्प चाहते थे।  

अमेरिका के दक्षिणी हिस्से के राज्यों का इतिहास उन्नीसवीं सदी के गृह युद्ध के साथ साथ 'अश्वेतों' की गुलामी और विपन्नता से  जुड़ा रहा है । जॉर्जिया इस मायने में एक अपवाद है कि वहां गुलामी पर पहले से ही प्रतिबन्ध रहा। लेकिन सार्वजनिक हत्याओं (लिंचिंग), श्वेत प्रभुता में विश्वास रेखने वाले ‘कु-क्लूक्ष-क्लान’ के अत्याचार और व्यापक गरीबी से यह प्रदेश बच न सका।   

जॉर्जिया प्रदेश अमेरिका के उन प्रदेशों में है जिन्हें पिछली शताब्दी में आर्थिक बदहाली का सामना करना पड़ा।  बीसवीं सदी के प्रारंभ में अमेरिका जब भयंकर मंदी (द ग्रेट डिप्रेशन) के दौर से गुजर रहा था, जॉर्जिया के लाखों लोग, ज्यादातर 'ब्लैक' आबादी और आधे से अधिक कृषि मजदूर गरीबी की मार के कारण विस्थापित हुए थे।  

इस प्रदेश में चेरोकी जाति के मूल निवासियों के साथ बड़ा अन्याय हुआ। ‘श्वेत' आप्रवासियों  को  बसाने के लिए चेरोकी जाति के मूल निवासियों को सरकारी मदद से उनकी पुस्तैनी भूमि से बेदखल किया गया।  

दूसरी तरफ़ 1954 में पारित न्यायालय के आदेश से जॉर्जिया के स्कूलों में श्वेत' और अश्वेत' विद्यार्थियों को अलग अलग रखने  की परम्परा को गैर कानूनी करार दिया गया। 

इस प्रदेश की राजधानी एटलांटा अमेरिका के प्रगतिशील, विकसित और समृद्ध शहरों में से एक है, जिसका सम्बंध मार्टिन लूथर किंग जूनियर, महात्मा गाँधी स्मारक, और राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर के आलावा कोका कोला, केबल टी वी सी एन एन के मुख्यालय आदि से है।कोरोना महाप्रकोप के इस दौर में एटलांटा के विकास के गवाह भारतीय मूल के सक्रिय लोग अपनी जिजीवषा का  परिचय दे रहे हैं-स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग मरीज़ों की सेवा में, शिक्षक ऑनलाइन शिक्षा में और आवश्यक सेवा में लगे लोग अपने कार्यों में साहस पूर्वक जुटे हैं । इन्हीं में से एक है; संध्या भगत जी। 

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