22. दिल्ली की बदलती तस्वीर

यह लेख सितम्बर 2013 में मेरे दिल्ली प्रवास के अनुभवों पर आधारित है।-अशोक ओझा

सन 2013 के दिल्ली प्रवास की कुछ झलकियाँ:

Glimpses of my experiences in Delhi in the year 2013:


21. महामारी से ग्रस्त एक वर्ष

अस्पताल कर्मचारियों को फ़ाइज़र और मॉडर्ना कंपनियों के टीके लगाने का अभियान शुरू हो गया है इस आशा में कि वे संक्रमित मरीज़ों की देखभाल करते हुए स्वयं संक्रमित न हों! 

अमेरिकी जन जीवन कैसा रहा वर्ष 2020 में -एक नज़र 

A look at the way American life was impacted by COVID-19 in the year gone by.


20. वैश्विक शिक्षक पुरस्कार विजेता की शिक्षण शैली

अशोक ओझा

इस वर्ष (2020) सर्वश्रेष्ठ वैश्विक शिक्षक (ग्लोबल टीचर) का पुरस्कार जीतने वाले रणजीत सिंह दुसाले ने सोलापुर (महाराष्ट्र) में एक टूटे फूटे मकान में चल रहे स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। इस स्कूल के अधिकांश विद्यार्थी जनजाति समुदाय की लड़कियां थीं। रणजीत सूचना-प्राद्योगिकी में प्रशिक्षित थे, लेकिन अनेक कारणों से उन्हें शिक्षक बनना पड़ा था। उन्होंने क्यू आर कोड के जरिए बच्चों की भाषा में कविताएं और अन्य पाठ संचित किए। प्रस्तुत है दिसाले की शिक्षण शैली पर एक नज़र:

Ranjit Singh Disale, a primary school teacher based in Solapur, India, received this year's Global Teachers Award. This article takes a close look at Disale's teaching style which is both modern and effective.


19. एक तालाब की कहानी

अशोक ओझा

दो तालाबों का परिचय-एक तालाब जहाँ मैं आज टहलने जाता हूँ।याद आता है गाँव का वह पोखरा जिससे बचपन में जुड़ा था।

Comparison and contrast of two ponds-one American, other Indian-both are important for me. How am I attached with both.



18. न्यू जर्सी, अमेरिका में वर्चुअल हिंदी दिवस समारोह आयोजित

अशोक ओझा

 न्यू जर्सी, अमेरिका स्थित युवा हिंदी संस्थान की तरफ से विगत 20 सितम्बर को हिंदी दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस वर्चुअल आयोजन में न्यू जर्सी के अतिरिक्त, पेन्सिलवेनिया, डेलावेयर, न्यू यॉर्क प्रदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के सदस्यों के साथ दर्जनों हिंदी शिक्षार्थी शामिल हुए। समारोह के आयोजन में मारीशस स्थित विश्व हिंदी सचिवालय, और अमेरिका की हिंदी संगम फाउंडेशन और शिक्षायतन नामक संस्थाओं का भी सहयोग रहा।

विगत कई वर्षों से युवा हिंदी संस्थान के शिक्षार्थी और हिंदी शिक्षक विश्व हिंदी सचिवालय के सहयोग से हिंदी दिवस समारोह का आयोजन करते आ रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि हिंदी दिवस आयोजन ऑनलाइन हुआ। ज्ञातव्य है कि विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना भारत और मॉरीशस सरकारों के संयुक्त तत्वावधान में विश्व के कोने कोने में हिंदी प्रचार-प्रसार के लिए की गयी है। 


17. भाषा शिक्षण के पाँच आधार स्तम्भ

अशोक ओझा

अमेरिका का हाल' श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम हिंदी शिक्षण के कुछ बुनियादी सिद्धांतों की चर्चा कर चुके हैं। आज की इस कड़ी में मैं इन सिद्धांतों को पुनः परिभाषित करना चाहता हूँ, ताकि शिक्षक पाठ्यक्रम का ढांचा गढ़ते समय इन बुनियादी सिद्धांतों का ध्यान रखें और उन्हें आधार स्तम्भों की तरह प्रयोग में लाएं। अमेरिका में और भारत के बाहर हिंदी को 'अंग्रेजी के आलावा' प्रमुख भाषा की श्रेणी में रखा गया है। इसे 'दूसरी भाषा' या 'विरासत (हेरिटेज) भाषा' भी कहते हैं। 'दूसरी भाषा' के शिक्षकों को पाठ्यक्रम की रचना करते समय और शिक्षार्थियों को विषयानुरुप गतिविधियों में समाहित करते समय जिन पांच आधार स्तम्भों का ध्यान रखना चाहिए उन्हें हम पांच 'सी' के नाम से भी जानते हैं। उन्हें अंग्रेजी के इतर भाषा शिक्षण का अंतर्राष्ट्रीय मानक (वर्ल्ड रेडीनेस स्टैण्डर्ड) भी कह सकते हैं।


16. गरीबों के भविष्य पर टिकी है अमेरिका की अमीरी

अशोक ओझा

अमरीकी राजनीति पर, जहाँ रिपब्लिकन और डेमो क्रेट दोनों पार्टियों में भारतीय मूल को नेता, ख़ास तौर पर महिला नेता उभरे हैं । क्या वे अमेरिका के ‘अश्वेत’ समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं? अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के संदर्भ में एक और ज्वलंत प्रश्न सामने है:  क्या अमेरिका की अमीरी गरीबों के भविष्य पर टिकी है? ख़ास तौर पर आज जब कि राष्ट्रपति चुनाव होने में सिर्फ़ 70 दिन बचे हैं; ’ब्लैक लाइव्ज़ मैटर’ आंदोलन ज़ोरों पर है। ग़रीब और उपेक्षित वर्ग खुल कर सड़कों पर अपनी माँगें रख रहा है। क्या यह वर्ग जो बाइडेन और कमला हैरिस की जोड़ी को अपना वोट देगा? 

Let us examine some relevant issue in the context of the November election of US president. Who represents the real America? Republicans or Democrats? Both parties have projected powerful women leaders during their the recently held conventions. Are they really represent the poor and oppressed? How is ‘Black Lives Matter’ movement going to influence the US election?


15. हिंदी शिक्षण के सिद्धांत

अशोक ओझा

भारत में उन बच्चों को, जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है, या जो अपने घरों में हिंदी का प्रयोग नहीं करते,  हिंदी सिखाने के लिए शिक्षकों को उन छह सिद्धांतो से परिचित होना  ज़रूरी है, जो भाषा शिक्षण, ख़ास तौर पर अंग्रेज़ी के इतर भाषा के शिक्षण, के लिए गढ़े गए हैं । अमेरिका का हाल शृंखला की इस कड़ी में इन्हीं सिद्धांतों को समझने की कोशिश की गयी है।

An overview of the six principles which are considered essential for teaching and learning world languages effectively, especially a non-English language such as Hindi. 


14. भारत की नई भाषा नीति और विदेशों में हिंदी शिक्षण

भारत की नई शिक्षा नीति इस प्रश्न का उत्तर देने में अक्षम है कि विदेशों में हिंदी की शिक्षा अभियान को कैसे मज़बूत  किया जाय ।भाषा शिक्षण के आधुनिक सिद्धांतों का समर्थन करने के लिए शिक्षा नीति में कुछ नहीं है ।क्यों कि शिक्षा नीति भाषा नीति नहीं है, और भारत की भाषा नीति भारतीय राजनीति के चंगुल में फँस चुकी है जिसका पूरा लाभ अंग्रेज़ी शिक्षा और अंग्रेज़ी परस्त लॉबी उठा रही है ।उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि अंतर्राष्ट्रीय भाषा विशेषज्ञ मातृभाषा और अंग्रेज़ी के इतर भाषाओं के शिक्षण को इक्कीस वीं सदी की शिक्षा का महत्वपूर्ण अंग मानते हैं ।

Does India’s new education policy truly supports a robust language policy in which teaching of Hindi or mother tongue is possible? Let us examine this issue in the context of internationally accepted guiding principles for effective teaching and learning of a non-English language.


13. हिंदी शिक्षार्थियों को क्या चाहिए?

अमेरिका का हाल-हिंदी शिक्षार्थियों को क्या चाहिए भाग -2

प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को हिंदी बोलने, पढ़ने और लिखने के आधुनिक तरीक़े, जो अमेरिकी विदेशी भाषा शिक्षण के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं, अपना कर प्रवीण किया जा सकता है। यह भावी पीढ़ी हिंदी को आगे ले जाएगी, उसे विश्व भाषा के सम्मानित दर्जे पर प्रतिष्ठित करेगी। तथाकथित हिंदी प्रेमियों की पुरानी पीढ़ी को हिंदी का रोना रोने के लिए छोड़ दीजिए।

इक्कीसवीं सदी की ज़रूरतों के मुताबिक भाषा ज्ञान के आधार पर योग्य नागरिक तैयार किये जा सकते हैं जो अपनी  संस्कृति से न केवल जुड़े रहेंगे, बल्कि मूल संस्कृति के प्रतिनिधि के रूप में आत्म-गौरव भी महसूस करेंगे। जी हाँ, मैं प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की बात कर रहा हूँ, जो अधिकाधिक संख्या में हमारे कार्यक्रमों में शामिल होते  हैं और हमारी कक्षाओं से भागते नहीं। उनके माता पिता कहते हैं: 'सामान्यतया, मेरे बच्चे स्कूल जाने से कतराते हैं, लेकिन युवा हिंदी संस्थान और हिंदी संगम फॉउंडेशन के हिंदी कार्यक्रमों में प्रतिदिन शामिल होने के लिए बेताब रहते हैं, सुबह जल्दी तैयार होते हैं, और हमें शिविर में पहुँचाने के लिए जल्दी मचाते हैं। मैंने जिन दो संस्थाओं का जिक्र किया उनके शिक्षण कार्यक्रम अब तक ग्रीष्म काल की छुट्टियों में आयोजित होते रहे हैं, लेकिन बदलते समय में हम उन्हें 'ऑनलाइन' कर रहे हैं।

The next generation of Hindi heritage learners are the students of Primary, Middle and High Schools. We must teach them Hindi as a non-English foreign language outside of India, with the help of modern teaching methodology developed by the American Council on Teaching of Foreign Languages. These students are our future world citizens who will take Hindi to its new level as a World Language in true sense, while the old guards of Hindi will keep crying in name of Hindi.


12. हिंदी शिक्षार्थियों को क्या चाहिए?

अमेरिका का हाल-हिंदी शिक्षार्थियों को क्या चाहिए भाग -1

प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को हिंदी बोलने, पढ़ने और लिखने के आधुनिक तरीक़े, जो अमेरिकी विदेशी भाषा शिक्षण के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं, अपना कर प्रवीण किया जा सकता है। यह भावी पीढ़ी हिंदी को आगे ले जाएगी, उसे विश्व भाषा के सम्मानित दर्जे पर प्रतिष्ठित करेगी। तथाकथित हिंदी प्रेमियों की पुरानी पीढ़ी को हिंदी का रोना रोने के लिए छोड़ दीजिए।

इक्कीसवीं सदी की ज़रूरतों के मुताबिक भाषा ज्ञान के आधार पर योग्य नागरिक तैयार किये जा सकते हैं जो अपनी  संस्कृति से न केवल जुड़े रहेंगे, बल्कि मूल संस्कृति के प्रतिनिधि के रूप में आत्म-गौरव भी महसूस करेंगे। जी हाँ, मैं प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की बात कर रहा हूँ, जो अधिकाधिक संख्या में हमारे कार्यक्रमों में शामिल होते  हैं और हमारी कक्षाओं से भागते नहीं। उनके माता पिता कहते हैं: 'सामान्यतया, मेरे बच्चे स्कूल जाने से कतराते हैं, लेकिन युवा हिंदी संस्थान और हिंदी संगम फॉउंडेशन के हिंदी कार्यक्रमों में प्रतिदिन शामिल होने के लिए बेताब रहते हैं, सुबह जल्दी तैयार होते हैं, और हमें शिविर में पहुँचाने के लिए जल्दी मचाते हैं। मैंने जिन दो संस्थाओं का जिक्र किया उनके शिक्षण कार्यक्रम अब तक ग्रीष्म काल की छुट्टियों में आयोजित होते रहे हैं, लेकिन बदलते समय में हम उन्हें 'ऑनलाइन' कर रहे हैं।

The next generation of Hindi heritage learners are the students of Primary, Middle and High Schools. We must teach them Hindi as a non-English foreign language outside of India, with the help of modern teaching methodology developed by the American Council on Teaching of Foreign Languages. These students are our future world citizens who will take Hindi to its new level as a World Language in true sense, while the old guards of Hindi will keep crying in name of Hindi.


11. कोरोना महाप्रकोप और हिंदी की प्रासंगिकता

अमेरिका का हाल-कोरोना महाप्रकोप और हिंदी की प्रासंगिकता

वक्तव्य सारांश


आज पूरा विश्व कोरोना की चपेट में है। विकसित और विकासशील देशों में महामारी का भीषण प्रकोप जीवन-मरण का प्रश्न बन चुका है । शिक्षा संस्थान विगत छह माह से बंद पड़े हैं।विद्यार्थी अपनी कक्षा में जाने से वंचित हैं और अध्यापक अपने पाठ्य क्रम को पूरा करने की चिंता में हैं। ऐसी स्थिति में साहित्यकारों और शिक्षकों के समक्ष आधुनिक प्राद्योगिकी जगत ने  कुछ साधन प्रदान किए हैं, जिनका प्रयोग शिक्षा और साहित्य की प्रगति और समृद्धि के लिए किया जा रहा है।इन साधनों का कितना लाभ मिलेगा यह तो आने वाला समय ही बता सकता है, क्यों कि प्राद्योगिकी का शिक्षा के लिए व्यापक प्रयोग विश्व में पहली बार हो रहा है ।


10. क्या अमेरिका चीन-भारत संघर्ष में कूदेगा ?

अमेरिका का हाल-क्या अमेरिका चीन-भारत संघर्ष में कूदेगा ?

भारत-चीन विवाद में अमेरिका कहाँ खड़ा है? जो लोग भारत-चीन झगड़े में अमेरिकी हस्तक्षेप की आस लगाए बैठे हैं, उन्हें यह भूलना नहीं चाहिए कि अमेरिका या कोई भी विश्व ताक़त सबसे पहले अपना राष्ट्रहित देखता है। क्या अमेरिका दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव ज़माने का मौक़ा देख रहा है? भारत के सामने विकल्प क्या हैं? कोरोना और चीन से वह एक साथ कैसे लड़ेगा?

India and China are facing each other in Ladakh. Is war inevitable between the two Asian powers? Will US intervene and support India? India is fighting a two pronged war, against Corona within and against China on its Northern border. What are India’s options? What does the future tells us?


9. विसंगतियों से भरा अमेरिका का सबसे बड़े प्रान्त कैलिफ़ोर्निया

अमेरिका का हाल-कैलिफ़ोर्निया में कोरोना

अमेरिका का सब से बड़ा प्रांत कैलिफ़ोर्निया अति विसंगतियों का प्रांत है । अमीरी - ग़रीबी की भयानक खाई यहाँ देखी जा सकती है। चमक दमक से भरपूर हॉलीवुड की जननी लॉस ऐंजल्स चले जाइए जहाँ सड़क किनारे रहते हैं हज़ारों बेघर अमेरिकावासी-उनके आश्रय, उनके घर, उनके तम्बुओं की मिलों लम्बी क़तारें ग़रीबी के अमेरिकी संस्करण से साक्षात्कार कराती हैं ।

अगर  कैलिफ़ोर्निया एक देश होता तो दुनिया की पाँचवी बड़ी अर्थव्यवस्था कहलाता। उन्नीसवीं सदी के मशहूर ‘गोल्ड रश’ ने कैलिफ़ोर्निया को अमीर बनाया और वहाँ के मूल निवासियों पर क़हर ढाने का काम भी किया।आज यह प्रदेश कोरोना से जूझ रहा है। 

कैलिफ़ोर्निया के अमीरों की प्रसिद्ध बस्ती ‘सिलिकन वैली’  दुनिया के अनेक प्राद्योगिकी अरब पतियों का गढ़ है। यहाँ भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है। इसी इलाक़े के  ‘पालो आल्टो’ नगर में आइवी लीग विश्वविद्यालय स्टैनफोर्ड भी है। आज की हमारी मेहमान सोनिया तनेजा स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाती हैं ।आइए, उन्हीं से सुनते हैं, कोरोना ने उनकी जीवन शैली, उनकी शिक्षण पद्धति में कैसा परिवर्तन किया है।

In this episode we take a look at California, the largest state of United States, which is deeply impacted by Corona pandemic. We meet Sonia Taneja, a Hindi teacher at Stanford University, located in the IT hub, Silicon Valley. She will talk about her academic life and how Corona has affected her working.


8. अमेरिकी जनता पर कोरोना और बेरोज़गारी की दोहरी मार

अमेरिका का हाल-आम जनता बेहाल; अशोक ओझा द्वारा विश्लेषण

अमेरिका के दक्षिणी हिस्से में स्थित जॉर्जिया प्रदेश कोरोना से कैसे जूझ रहा है। न्यू यॉर्क टाइम्स के आंकड़े बताते हैं कि जॉर्जिया प्रदेश में लगभग पचास हज़ार लोग संक्रमित हैं, जब कि दो  हज़ार से अधिक संक्रमित लोगों की जानें जा चुकी हैं।

एटलांटानिवासी हिंदी नाट्यकर्मी और शिक्षिका संध्या भगत से आपकी मुलाकात कराएँगे, जिनकी सक्रियता पर कोरोना का असर तो पड़ा लेकिन उनकी गतिविधियों को रोक नहीं सका। एटलांटा सहित पूरे अमेरिका में भारतीय मूल के लिए लोग बसे हैं, बेहतर जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन कोरोना महाप्रकोप ने सबकी जीवन शैली बदल कर रख दी है ।

In the current episode of Hindi YouTube channel, 'America's Challenge', Ashok Ojha interviewed an Atlanta based Hindi teacher, Sandhya Bhagat, who continues to present online Hindi plays and teach the language during this difficult time. Ashok provides an overview of the state of Georgia and its great city, Atlanta, where  Corona pandemic has altered the lives of people. The weekly YouTube channel, अमेरिका का हाल (America's Challenge) provides listening and reading content for Hindi learners around the world. The text and audio transcripts are provided here.

Teachers as well as learners of Hindi may please subscribe this channel and watch it here:  https://youtu.be/dUHLP62cRX0


7. अमेरिका में रंगभेद के विरोध में हिंसा की लहर

अमेरिका में एक ‘अश्वेत’ की हत्या से उपजा हिंसक आंदोलन:  अशोक ओझा द्वारा विश्लेषण

एक पुलिस कार के पास एक अश्वेत (काला व्यक्ति) जमीन पर मुँह के बल गिरा है, उसकी गरदन एक पुलिस अधिकारी के घुटनों के नीचे दबी हुई । दो और पुलिस अधिकारी उसे दबोचे हुए थे । डेरेक शौविन नामक पुलिस अधिकारी ने फ्लॉयड नामक अश्वेत व्यक्ति को अपने घुटनों के नीचे  तब तक दबा कर रखा जब तक कि एम्बुलेंस वहाँ नहीं पहुँची । इस बीच जमीन पर गिरा फ्लॉयड बिफर रहा  था-मैं साँस नहीं ले सकता, माँ, प्लीज--लेकिन पुलिसवालों पर उसकी गुहार का कोई असर नहीं हुआ। फ्लायड का दम घुट रहा था। अस्पताल जाते जाते उसने दम तोड़ दिया। 

फ्लायड की मौत का समाचार फैलते ही पूरे अमेरिका में नस्लवादी भेदभाव और  पुलिस ज्यादती के विरुद्ध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया। मिनियापोलिस शहर में आगज़नी और तोड़फोड़ की घटनाओं के बीच राष्ट्रपति ट्रम्प ने कुछ ऐसा कह दिया जिससे हिंसक आंदोलन और तेज़ हो गए- ‘लूटपाट होती है तो गोलियाँ चलती हैं (व्हेन लूटिंग स्टार्ट्स, शूटिंग स्टार्ट्स)’ । उनका यह ट्वीटर वक्तव्य अश्वेत लोगों के जले पर नमक छिड़कने जैसा प्रतीत हुआ। अमेरिका का राजनीतिक और सामाजिक इतिहास इस बात की गवाही देता है कि  ‘अश्वेत’ नागरिकों के साथ, चाहे वे काले (अफ़्रीकी-अमेरिकी) या भूरे (एशियाई, लातिनी) हों, सामाजिक और प्रशासनिक भेदभाव की कहानी ‘श्वेत प्रभुत्व (व्हाइट सुप्रेमेसी)’ की भावना से जुड़ी हुई है, जिसके तार सत्तर वर्ष पुराने ‘कु, कलाक्ष क्लान’ के आतंकवादी चेहरे से जुड़ते हैं।


6. क्या ट्रम्प दुबारा राष्ट्रपति बनेंगे?

अशोक ओझा द्वारा विश्लेषण

आगामी नवम्बर माह में अमेरिका के नए राष्ट्रपति का चुनाव होगा? क्या ट्रम्प फिर जीतेंगे, या अमेरिका एक बार फिर डेमो क्रेटिक उम्मीदवार को चुनेगा? इस प्रश्न का उत्तर उन तमाम मुद्दों से जुड़ा है जो कोरोना महामारी के कारण पैदा हुआ है-

Who will be America’s next president: Republican Trump or Democrat Biden? Answer to this questions is connected with uncertainties arisen due to the Corona pandemic.. We will discuss how people live in various parts of America under the shadow of Corona pandemic?


5.अमरीका में लॉक डाउन खुल रहा है सहमे सहमे!

-अशोक ओझा

परिचय: अमेरिका एक अजीब दुविधा की स्थिति में जी रहा है ।एक तरफ़ तो लोग प्रतिबंधों को समाप्त करने  के लिए राज्य सरकारों पर तरह तरह के दबाव डाल रहे हैं तो दूसरी तरफ़ अनेक राज्यों में संक्रमण कम नहीं हो रहा ।इल्लिनोय प्रदेश  के कुछ विधायकों ने राज्यपाल पर लॉक डाउन लागू के विरोध में मुकदमा कर दिया है, जब कि मिशिगन  प्रदेश में प्रतिबंधात्मक आदेशों के  विरूद्ध जैसे जन आंदोलन ही शुरू हो जाएगा, जिसका नेतृत्व रिपब्लिकन पार्टी के नेता करना चाहते हैं । स्वयं राष्ट्रपति ट्रम्प विशेषज्ञों  द्वारा सुझाए  गए  अनेक उपायों  को नकारते हुए चेहरा ढकने वाले मास्क तक पहनना नहीं चाहते। 

अशोक ओझा द्वारा एक विश्लेषण:

America is experiencing a huge dilemma today. American people have lost their patience due to Stay-at-home order. Almost all of 50 states have slowly begun opening up. The governors of various states are skeptical-they are worried about the new wave of Corona pandemic in case activities are set to normal. Scientists are warning of the new wave. Scaring numbers about probable deaths are being predicted. The President of United States is adamant to open the economy and refused to wear masks. What is in store for America? Watch, listen to the analysis by Ashok Ojha in Hindi.

  


4.कोरोना का सबसे ज़्यादा क़हर ग़रीब वर्ग पर ही क्यों?

-अशोक ओझा

The first responders who are dealing with Corona pandemic belong to economically disadvantage classes of the American society. Along with the nurses and doctors, who are working in the emergency wards of hospitals, there are store workers, ambulance services employees and those who are sorting orders for online customers in stores and warehouses are more likely to be infected. Staying home is not an option for these people. They can’t look after their sick parents or hug their kids. Most of them are the people of color who are discriminated and sometimes killed because of the color of their skin.


3.खोल दो लॉक डाउन, मरने वाले तो मरते ही रहते हैं!

-अशोक ओझा

राष्ट्रपति ट्रम्प के कुछ समर्थक यह सन्देश दे रहे हैं: लोग संक्रमण से मरते हैं तो  क्या हुआ, सब काम धाम छोड़ कर कब तक बैठे रहेंगे? ये लोग सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं, जैसे कह  रहे हों -खोल दो अमेरिका के बंद दरवाज़े! मरने वाले तो मरते ही रहेंगे ।


2. इमरजेंसी वार्ड

-अशोक ओझा

अमेरिका में क्यों सड़ रही हैं कोरोना पीड़ितों की लाशें?

अप्रैल 2020 के अंतिम सप्ताह एक दिन न्यू यॉर्क के ब्रूकलिन उपनगर में स्थानीय निवासी असहनीय दुर्गन्ध से बेचैन हो उठे। पुलिस बुलाई गयी। पता चला पास के 'अंतिम संस्कार केंद्र' (फ्यूनरल होम) के बाहर खड़े ट्रकों में कोरोना संक्रमित मृतकों की लाशें सड़ रही थीं। बदबू उन्हीं ट्रकों से आ रही थी.... न्यू यॉर्क शहर में कोरोना मृतकों को अंतिम संस्कार से पूर्व शीतक ट्रकों में रखा जा रहा है। कभी कभी ट्रकों के एयर कंडीशनिंग यंत्र ख़राब हो जाने के कारण शव सड़ने लगते हैं । अनेक 'फ्यूनरल होम' मृतकों के शव कई दिनों तक रखते हैं जो कि अनुचित है। न्यू जर्सी में पुलिस ने हाल ही में एक 'फ्यूनरल होम' से दस लाशें अपने कब्ज़े में ले ली। इस वीडियो को प्रकाशित करने के समय न्यू यॉर्क प्रदेश में सात से आठ सौ कोरोना पीड़ितों की मौतें हो रही थीं। रोजाना संक्रमित लोगों की संख्या हज़ारों में। कमोबेश यही हाल न्यू जर्सी का था...


  1. कोरोना की दहशत और भारत यात्रा

- अशोक ओझा 

आज अप्रैल की 24 तारीख, दिन शुक्रवार-न्यू जर्सी के एडिसन शहर में अपने घर में कैद हुए दो महीने पूरे होने वाले हैं। अमेरिका में, पड़ोसी राज्य न्यू यॉर्क और मेरे प्रदेश न्यू जर्सी में कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है: आज के न्यू यॉर्क टाइम्स के आंकड़े बताते हैं-अमेरिका में आठ लाख से भी अधिक संक्रमित- न्यू यॉर्क प्रदेश में दो लाख साठ हज़ार से भी अधिक और न्यू जर्सी में यह संख्या एक लाख तक पहुँच चुकी है.... देश भर में 44 हज़ार से भी ज्यादा लोग कोरोना के चलते जान गवां चुके हैं। इनमें न्यू यॉर्क में 15 हज़ार से ज्यादा और न्यू जर्सी में पांच हज़ार से ऊपर। गत एक मार्च को भारत के लिए रवाना हुआ, और सात मार्च को लौट आया। उन दिनों कोरोना अपने पाँव पसार रहा था-भारत में भी और अमरीका में भी। लेकिन उसकी आहट नहीं सुनी गयी। मेरी भारत यात्रा और वापसी के दौरान कहीं भी कोरोना से सावधानी बरतने की चेतावनी नहीं थी, न ही किसी किस्म के बचाव की-न तो विमान में, न ही विमान स्थल पर! भारत पहुँच कर महसूस हुआ- कोरोना दस्तक दे रहा है, जब कुछ पीड़ितों के जयपुर, दिल्ली, आगरा घूमने का समाचार अखबारों में पढ़ा। अधिकृत तौर पर कहा जा रहा था-डरने की कोई बात नहीं।

लेकिन मेरा मन कह रहा था-डरने की बात है.....सुनिए, इस यात्रा का विवरण: