विदेशों में गिरती ओबामा की साख

विदेशों में गिरती ओबामा की साख

अशोक ओझा

आज एक अमेरिकी नागरिक घोर पशोपेश की स्थिति में है। जिस तरह राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने नागरिकों के फ़ोन और इन्टरनेट गतिविधियों की लम्बी चौड़ी फेहरिश्त तैयार करनी शुरू की और जिस तरह एडवर्ड स्नो डेन जैसे मामूली अधिकारी ने हांगकांग में उसका खुलासा किया उससे सभी चिंतित हैं। चिंता इस बात की कि सरकार कानूनी तौर पर लोगों की निजी गतिविधियों पर नज़र रख रही है, लेकिन अमेरिकी जनता कुछ हद तक इसे आतंकवाद से सुरक्षा के लिए आम आदमी का त्याग समझ कर झेलने को तैयार थी। उनकी असली चिंता तो यह है कि  निजी स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए दुनिया के किसी भी कोने में सैनिक भेजने की ताक़त रखने वाले अमेरिका को रूस, चीन, और इकुआडोर जैसे देश लेक्चर दे रहे हैं।

स्नोडेन जैसे लोग, जो हाई स्कूल पास किये बिना सुरक्षा एजेंसी में नौकरी करने लगे और लाखों-करोड़ों अमेरिकियों के निजी मामलों पर नज़र रखने लगे, यह अमेरिकी नागरिकों  और उनकी सरकार के लिए अत्यंत अपमानजनक बात है। अमेरिका के अधिकांश टेलीविज़न चैनल, चाहे वे उदारवादी हों या परम्परावादी, या निरंकुश अमेरिकी ताक़त के  प्रचारक, सबने एक स्वर से कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने लोगों के निजी जीवन की जानकारी एकत्र कर कुछ गलत नहीं किया क्यों कि इससे कितने ही आतंकवादी षड्यंत्रों को रोका जा सका है। विदेशों को नागरिक स्वतंत्रता का उपदेश देते देते थक चुके ओबमा राष्ट्रपति पद के दूसरे दौर में अमेरिकी राष्ट्रवाद की परम्परा में पूर्णतः समाहित होकर ही अपने आप को सच्चा अमेरिकी महसूस करने लगे थे। दूसरी तरफ ओबामा के निर्देश पर उनके सैनिक दुनिया के दूर दराज़ गावों में छिपे दुश्मनों को ढूंढ ढूंढ कर गोलियों से भूनते रहे, यह परवाह किये बिना कि अगर दुश्मन अमेरिकी नागरिक है तो उसे कानून के हवाले करना चाहिए। अमेरिका का गुप्तचर विभाग इतना सक्षम है कि बिन लादेन जैसे दुश्मनों को वर्षों तक कोशिश करने के बाद खोज निकाला। अमेरिका से दुश्मनी करने वाले अमेरिकी नागरिक अनवर अल-अवाल्की को, जो अल कायदा से मिल कर अमेरिका में विमान उड़ने की साजिश रच रहा था, ड्रोन लड़ाकू विमान से यमन में मार गिराया। 

लेकिन स्नोडेन के मामले में ओबामा सरकार चीन, रूस और इकुआडोर के विरूद्ध चाह कर भी सख्त कदम न उठाने के लिए मजबूर है। स्नोडेन ने ऐसा माहौल खड़ा किया कि चीन और रूस जैसे देश, जो अमरीकी शैली के लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते, अमेरिका को बताने से नहीं चुके कि स्नोडेन ने तो सरकारी नीतियों के विरूद्ध बिगुल बजाया है, उसे कैसे अपराधी माने और गिरफ्तार करें? रुसी राष्ट्रपति पुतिन ने तो यहाँ तक कह दिया कि स्नो डेन ने रूस में कोई अपराध नहीं किया है और उसे अमेरिका वापस भेजने का प्रश्न नहीं उठता। इकुआडोर अमेरिका से कह रहा है कि वह स्नोडेन को शरण देने के मामले में अपना कूटनीतिक पक्ष लिखित रूप में पेश करे। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक सम्बन्ध वैसे ही ख़राब हैं, लेकिन दक्षिण अमेरिका का यह गरीब देश वेनेज़ुएला के स्वर्गीय राष्ट्रपति चावेज़ के पद चिन्हों पर चलते हुए अमेरिकी प्रभाव के विरुद्ध बिगुल बजने के लिए तभी तैयार हो गया था जब उसने अमेरिकी राजदूत को सन २०११ में विकी लीक्स के खुलासे के बाद निष्काषित कर दिया और फिर असान्जे को शरण देने का फैसला भी कर डाला। 

चीन और रूस के विरूद्ध अपना रूख कड़ा कर के अमेरिका अपने आर्थिक संबंधों को खतरे में नहीं डालना चाहता। चीन इस बात को भली भांति समझता है। दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंधों के लिए स्नोडेन के लिए दांव पर नहीं लगाया जा सकता। इसलिए उसने स्नोडेन को अपनी ज़मीन से अविलम्ब निष्काषित किया, भले ही उसमे असान्जे जैसे लोगों की मदद लेनी पड़ी। अमेरिका को रूस के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये रखना ज़रूरी है क्यों कि सीरिया जैसे अनेक अंतरराष्ट्रीय मामलों पर दोनों देशों का परस्पर सहयोग स्नोडेन के मामले से ज्यादा महत्वपूर्ण है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी इस मामले को अपने गले डालने से बचना चाहते हैं। अमेरिका के आँख तडेरने पर उन्होंने साफ़ साफ़ कह दिया कि रूस इतनी आसानी से घुटने नहीं टेक सकता। रूस इसके सिवा कुछ नहीं बता रहा कि स्नोडेन मास्को विमान स्थल के ट्रांजिट क्षेत्र में हैं। वहां वह कब तक रहेंगे, कोई नहीं जनता। मीडिया की पैनी नज़र स्नो डेन का पता नहीं लगा सकी है। लेकिन रूस स्नोडेन को दुनिया की नज़रों से तब तक दूर रखेगा जब तक कि इकुआडोर से ज़रूरी कागजात मिल नहीं जाते। तब तक स्नो डेन रूस के लिए एक बला भी हैं और अमेरिका से सौदेबाज़ी करने का हथियार भी!

इन्टरनेट और टेलीफोन माध्यम से सूचनाएं एकत्र करने की अंतर्राष्ट्रीय होड़ अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी है जिसके कारण तनाव बढ़ता रहा है। यह सभी जानते हैं कि दुनिया के सभी देशों द्वारा जासूसी की जाती है। लेकिन अमेरिका यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि उसके सुरक्षा तंत्र में चीन के जासूस सेंध लगायें। अमेरिका में सुरक्षा तंत्र में सेंध लगाने की शुरुआत विकी लिक्स के संपादक जूलियन असान्जे ने तीन वर्ष पहले ही कर दिया था जब अमेरिका सेना के एक कर्मचारी ब्रेडली मैनिंग ने गुप्त सरकारी दस्तावेज़ विकी लिक्स के हवाले करे दिया था। मैनिंग इन दिनों अमेरिकी सेना द्वारा कोर्ट मार्शल के तहत अपने अपराधों की सुनवाई झेल रह हैं। असान्जे को इकुआडोर सरकार ने शरण दे दी है लेकिन वे लन्दन के दूतावास में रह रहे हैं क्यों कि इकुआडोर दूतावास से बाहर निकलते ही उन्हें ब्रिटिश सरकार गिरफ्तार कर लेगी। जानकारों का कहना है कि विकी लिक्स के संस्थापक भले ही स्वीडन जाने से बच जाएँ लेकिन अमेरिकी सरकार उन्हें लन्दन से अमेरिका लाकर मुक़दमा चलाने का हर संभव प्रयास करती रहेगी। उसी प्रकार स्नोडेन को रूसी अधिकारियों के चंगुल से छुड़ाने का प्रयत्न भी निकट भविष्य में ढीला पड़ने वाला नहीं।


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